ये मेरी नितांत मौलिक रचनाएं हैं ... मेरे ह्रदय की भाषा .. जिन्हें मैं बस यूँ ही कह लेता हूँ ... कोई समझ लेता है ....
मंगलवार, 31 मार्च 2015
दर्द से कह दो की रहे हद में
वरना पछताएगा विधवा होकर
मंगलवार, 8 जनवरी 2013
सोमवार, 7 जनवरी 2013
श्री गुरु के चरणों मैं कैसे मलिन शीश रख पाऊँगा
नयन छुपा कर कैसे गुरुवर के सम्मुख आ पाऊँगा
अब न कीजे मेरी गुस्ताखियों से शिकवा गिला
इनकी तफ्तीश मैं नाम आपका भी आएगा
krodh paap kar mool ..
एक मौत आई दिल्ली में .
रोने लगी व्यवस्था ...
चीख चीख कर गा ली देते ..
सब दिखलाते रस्ता ..
बहुत दिनों पहले की बात तो नहीं .. मैं ब्लॉग नहीं लिखता था , मेरे लिखे शब्द खुद बी खुद ब्लॉग मैं चाप जाया करते थे .. अब सेटिंग गड़बड़ हो गई ... तरी कर रहा हूँ क्या मैं लिख पाऊँगा